Hriyaali Teej: हरियाली तीज के नाम से प्रसिद्ध यह बहुत ही ख़ास त्योहार है। यह सावन महीने में अमावस्या के बाद आने वाली तीज को आती है। इस त्योहार पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं अपने पतियों की भलाई और लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। इस पर्व के दौरान महिलाएं हाथ और पैरों पर सुंदर मेंहदी लगाती हैं। हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के लिए मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पूरा दिन व्रत रखती हैं और शाम को भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं।
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ऐसे मनाएं हरियाली तीज का त्यौहार
इस दिन बालू मिट्टी के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति तथा इनके साथ शिवलिंग, रिद्धि सिद्धि सहित गणेश भगवान की भी मूर्ति बनाएं। मूर्ति बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें। यह सब हो जाए तो माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। भगवान शिव और माता पार्वती का आह्वान करें। हरतालिका तीज व्रत के प्रभाव से अखंड सौभाग्य और मनचाहा वर पाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
स्त्रियों के लिए हरतालिका तीज का व्रत बहूत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन जरा सी चूक आपकी व्रत के प्रभाव को क्षीण कर सकती है। शास्त्रों में हरियाली तीज के कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका पालन कर आप गलतियों से बच सकते हैं।
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भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक
इस वर्ष हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जा रही है। इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप किया था। इस कठोर तप के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। ऐसा माना जाता है कि यह हरियाली तीज का ही दिन था। अर्थात श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन स्त्रियों को सौभाग्य पूर्ण जीवन और उनके पतियों की लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
नोट- यह जानकारी पौराणिक मान्यताओं एवं स्थानीय ज्योतिष आचार्य के आधार पर उपलब्ध कराई गई है।