रहस्यमय कल्याणेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर अर्पित जल हो जाता है गायब

HAR HAR MAHADEV: देश भर में भगवान शिव के अनेको मंदिर स्थित हैं। प्रत्येक मंदिर की अपनी अलग मान्यता भी है। लेकिन कल्याणेश्वर महादेव मंदिर ऐसा है जिसमें स्थापित शिवलिंग पर अर्पित किया गया जल गायब हो जाता है। यह जल कहां जाता है यह रहस्य आज तक रहस्य ही बना हुआ है। कई बार लोगों ने इस रहस्य को जानने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। भगवान शिव का यह मंदिर अपने आप में अनेकों रहस्य समेटे हुए है।

मान्यता के अनुसार जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में गंगा के तट पर भगवान परशुराम ने तीन शिवलिंग की स्थापना की थी। इनमें से एक मुक्तेश्वर महादेव, झारखंडेश्वर महादेव और कल्याणेश्वर महादेव के शिवलिंग स्थापित किए थे। कल्याणेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग के जल गायब होने का रहस्य आज तक रहस्य ही बना हुआ है। इसके अलावा इस मंदिर के बारे में एक मान्यता यह भी है कि कल्याणपुर गांव के लोगों को कभी भी सांप नहीं काट सकता। यदि किसी व्यक्ति को सांप काट भी लेता है तो उस पर सांप के काटने का कोई असर नहीं होता है।

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जलाभिषेक को उमड़ता है आस्था का सैलाब

मंदिर के बारे में शिव महापुराण में विस्तार से वर्णन किया गया है। इस मंदिर पर महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन होता है। हरिद्वार से जल लेकर आने वाले शिव भक्त भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वैसे तो मंदिर पर रोजाना ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन सोमवार के दिन विशेष पूजा की जाती है। इस दिन मंदिर पर जलाभिषेक करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।

राजा नल ने किया था रहस्य जानने का प्रयास

पौराणिक कथा के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व राजा नल ने यहां आकर शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। जब राजा ने देखा कि जल भूमि में समा गया तो वह इस चमत्कार को देखकर बहुत हैरान हुए। इसके बाद राजा नल ने इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए बैलगाड़ी से हजारों घड़े गंगाजल मंगवाकर शिवलिंग पर चढ़ाया। लेकिन, सारा जल भूमि में ही समा गया। जब राजा इस रहस्य के बारे में पता नहीं लगा सके तो उन्होंने भगवान भोलेनाथ से क्षमा मांगी और वापस लौट गए। बताया जाता है कि मराठा छत्रपति शिवाजी ने भी यहां 3 महीने तक रूद्र यज्ञ किया था।