SHAKUNI MAMA: गांधारी के भाई और दुर्योधन के मामा शकुनि को तो सभी जानते ही हैं, कौरवों को छल व कपट की राह सिखाने वाले शकुनि उन्हें पांडवों का विनाश करने में पग-पग पर मदद करता था, लेकिन उनके मन में कौरवों के लिए केवल बदले की भावना थी। कहते हैं कि भीष्म ने शकुनी की बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से जबरन करवाया था। बाद में धृतराष्ट्र ने गांधारी के पिता और दोनों पुत्र को आजीवन जेल में डाल दिया था। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों केवल पांडवों का ही नहीं बल्कि कौरवों का भी दुश्मन था शकुनि ?
इस कारण कौरवों का दुश्मन बन बैठा था शकुनि
कारागार में उन्हें खाने के लिए केवल एक व्यक्ति का भोजन दिया जाता था। केवल एक व्यक्ति के भोजन से भला सभी का पेट कैसे भर सकता था, यह पूरे परिवार को भूखे मार देने की साजिश थी। शकुनि के पिता राजा सुबाल ने यह निर्णय लिया कि यह भोजन केवल उनके सबसे छोटे पुत्र को ही दिया जाए, ताकि उनके परिवार में से कोई तो जीवित बच सके। यह भोजन शकुनी को मिलता था। एक-एक कर सभी मरने लगे। मृत्यु से पहले सुबाल ने धृतराष्ट्र से शकुनि को छोड़ने की विनती की, जो धृतराष्ट्र ने मान ली थी। शकुनी के सामने ही उसके माता, पिता और भाई भूख से मारे गए। शकुनी के दिमाग में यह बात घर कर गई।
शकुनि ने दुर्योधन को युधिष्ठिर के खिलाफ भड़काया
जेल से बाहर आने के बाद शकुनी के पास दो विकल्प थे। अपने देश वापस लौट जाए या फिर हस्तिनापुर में ही रहकर अपना राज देखे। शकुनी ने हस्तिनापुर में ही रहना तय किया। धीरे-धीरे शकुनि ने हस्तिनापुर मैं सबका विश्वास जीत लिया और 100 कौरवों का अभिवावक बन बैठा। अपने विश्वासपूर्ण कार्यों के चलते दुर्योधन ने शकुनि को अपना मंत्री नियुक्त कर लिया। फिर धीरे-धीरे शकुनि ने दुर्योधन को अपनी बुद्धि के मोहपाश में बांध लिया। शकुनि ने न केवल दुर्योधन को युधिष्ठिर के खिलाफ भड़काया बल्कि महाभारत के युद्ध की नींव भी रखी।
सहदेव ने शकुनी तथा उसके पुत्र का वध किया
शकुनी की युक्ति के ही चलते जुआ खेला गया था और उसके छलपूर्ण पासे के चलते ही पांडव अपना सबकुछ हार बैठे थे। शकुनी ने ही पांडवों को मरवाने के लिए लक्ष्यागृह की योजना बनाई थी। शकुनी के एक नहीं कई कारनामे हैं। शकुनि जितनी नफरत कौरवों से करता था उतनी ही पांडवों से, क्योंकि उसे दोनों की ओर से दुख मिला था। पांडवों को शकुनि ने अनेक कष्ट दिए। भीम ने इसे अनेक अवसरों पर परेशान किया। महाभारत युद्ध में सहदेव ने शकुनि का इसके पुत्र सहित वध कर दिया था।
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