भौमवती अमावस्या आज, ऐसा करने से मिलता है देवताओं का आशीर्वाद

BHOMVATI AMAVASYA: भौम अर्थात मंगल। मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से कर्ज का संकट समाप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टिकोण से अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मंगलवार को आने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है।
भौमवती अमावस्या के समय पितृ तर्पण कार्यों को करने का विधान माना जाता है। अमावस्या को पितरों के निमित पिंडदान और तर्पण किया जाता है मान्यता है कि भौमवती अमावस्या के दिन पितरों के निमित पिंडदान और तर्पण करने से पितर देवताओं का आशीष मिलता है। पितरों का पूजन करने से मनुष्य पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है।
मंगलवार के दिन अमावस्या होने के कारण हनुमानजी और मंगल देवता की उपासना करना भी बहुत लाभदायी माना गया है।

इस तरीके से करनी चाहिए पूजा

भौमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान करने का विशेष महत्व कहा गया है। भौमवती अमावस्या के दिन दान करने का सर्वश्रेष्ठ फल कहा गया है। देव ऋषि व्यास के अनुसार इस तिथि में स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुन्य फल प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त इस दिन पीपल की परिक्रमा कर, पीपल के पेड और श्री विष्णु का पूजन करने का नियम है। दान-दक्षिणा देना शुभ होता है। भौमवती अमावस्या पर हजारों की संख्या में हरिद्वार, काशी जैसे तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
इस दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में डूबकी लगाने का भी बहुत अधिक पुण्य माना गया है। इस स्थान पर भौमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की अवधि में पवित्र नदियों पर स्नान करने वालों का तांता सा लगा रहेगा। स्नान के साथ पवित्र श्लोकों की गुंज चारों ओर सुनाई देती है। यह सब कार्य करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

ये है भौमवती अमावस्या का महत्व

अमावस्या तिथि प्रत्येक चन्द्र मास मे आती है। चन्द्रमा के दो पक्ष होते है, जिसमें एक कृ्ष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष होता है। कृ्ष्ण पक्ष समाप्त होने पर अमावस्या व शुक्ल पक्ष की समाप्ति पर पूर्णिमा आती है  यह पर्व तिथि है। इस दिन व्रत, स्नान, दान, जप, होम और पितरों के लिए भोजन, वस्त्र आदि देना उतम रहता है। शास्त्रों के हिसाब से अमावस्या के दिन प्रात:काल में स्नान करके संकल्प करें और पूजा करनी चाहिए।
भौमवती अमावस्या के दिन विशेष रुप से पितरों के लिये किए जाने वाले कार्य किये जाते है। इस दिन पितरों के लिये व्रत और अन्य कार्य करने से पितरों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का महत्व है। जब अमावस्या के दिन सोम, मंगलवार और गुरुवार के साथ जब अनुराधा, विशाखा और स्वाति नक्षत्र का योग बनता है, तो यह बहुत पवित्र योग माना गया है।
इसी तरह शनिवार, और चतुर्दशी का योग भी विशेष फल देने वाला माना जाता है। अमावस्या के दिन तीर्थस्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से ऋण या कर्ज और पापों से मिली पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है. इसलिए यह संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। पुराणों में अमावस्या को कुछ विशेष व्रतों के विधान है जिससे तन, मन और धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
https://ak7news.com/shakuni-was-an-enemy-not-only-of-pandavas-but-also-of-kauravas-know-the-reason/