Written by: sourav Tyagi
INTERNATIONAL NEWS: वह दिन जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से निकलने का फैसला किया था, तब सबसे पहले यदि कोई देश इस फैसले के सपोर्ट में आया था तो वह था पाकिस्तान। पाकिस्तान की सरकार ने तालिबान को सपोर्ट किया था। उसने इसलिए सपोर्ट किया था जिससे कि तालिबान अपनी अंतरिम सरकार अफगानिस्तान में बना सके। लेकिन जब लगभग पूरा विश्व नहीं चाहता था कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बने लेकिन फिर भी पाकिस्तान तालिबान के सपोर्ट में रहा। और तो और इन दोनों देशों की मैच्योरिटी पॉपुलेशन एक विजन को फॉलो करती है और दोनों देश इस्लामिक रिपब्लिक भी हैं।
लेकिन फिर भी ऐसी क्या समस्याएं हैं कि अफगानिस्तान में जब से तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया है तभी से पाकिस्तान पर लगातार अफगानिस्तान से हमले हो रहे हैं। जब हमने इस पर रिसर्च की तो बहुत कुछ ऐसी बातें हमारे हाथ लगी जिससे दोनों देशों के बीच में पैदा हुए तनाव की स्थिति को बताती हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की यह लड़ाई आज की नहीं है। यह लड़ाई तब से चली आ रही है जब पाकिस्तान भारत से अलग हुआ था। और तो और अफगानिस्तान अकेला ऐसा देश था, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ वोटिंग की थी ताकि पाकिस्तान का एडमिशन यूनाइटेड नेशंस में ना हो पाए।
अफगानिस्तान एक पश्तून बहुल देश है
तभी से अफगानिस्तान की सरकार यह दावा करती रही है कि खैबर पख्तूनख्वा और पाकिस्तान की टेरिटरी बलूचिस्तान अफगानिस्तान का ही हिस्सा है क्योंकि पाकिस्तान की खैबर पख्तूनख्वा तथा बलूचिस्तान में पश्तून रहते हैं। अफगानिस्तान एक पश्तून बहुल देश है इसलिए वह अपनी ट्रेडिशनल पश्तून इलाकों को को वापस लेना चाहता है। अब इसी मुद्दे को लेकर लगातार Durand line जोकि अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के बीच में हैं तथा उसी खैबर पख्तूनख्वा तथा बलूचिस्तान से मिलती है। लगातार अफगानिस्तान उसी पर हमला करता है ताकि वह इन सब एरिया को वापस ले सके।
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से 1970 से पहले जीती थी जंग
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर तालिबान के लड़ाके अब पाकिस्तान से क्या इस लड़ाई को जीत सकते हैं। तो दोस्तों मैं आपको बता देता हूं कि पाकिस्तान केवल अफगानिस्तान से ही 1970 से पहले एक लड़ाई जीता था। पर यहां पर अफगानिस्तान के पास प्लस पॉइंट यह है कि 1970 के बाद अफगानिस्तान ने दो महा शक्तियों को जैसे कि यूएसएसआर तथा यूएसए जैसी शक्तियों को अपने देश से बाहर खदेड़ दिया है। अगर देखा जाए तो यूएसए के जो हथियार यूएसए के फौजी तालिबान से लड़ने के लिए लेकर आए थे अब वह तालिबान के पास हैं।
बड़ी शक्ति होना युद्ध जीतने की गारंटी नहीं
तालिबानी लड़ाकों के पास अभी पाकिस्तान के लड़ाकू से ज्यादा लड़ने का अनुभव है, तो अंत में यही कहा जा सकता है कि तालिबान अभी कहीं ना कहीं लड़ाई के मामले में पाकिस्तान से काफी ज्यादा आगे है और वैसे भी हम लड़ाई का कुछ परीक्षण नहीं कर सकते हैं क्योंकि रशिया और यूक्रेन वाले युद्ध से हम पता लगा सकते हैं कि बड़ी शक्ति होना भी इस चीज की गारंटी नहीं देता है कि आप युद्ध जीत ही जाएं।