बरसात के मौसम में गन्ने की फसल में लगने वाले पोक्का बोइंग रोग की ऐसे करें रोकथाम

Agriculture News: भारत में गन्ने की फसल की पैदावार बहुत अधिक मात्रा में की जाती है। उत्तर प्रदेश में भी किसानों द्वारा गन्ने की फसल उगाई जाती है। गन्ना किसानों को फसल में लगने वाले रोगों की चिंता रहती है। गन्ने की फसल साल भर की फसल होती है, जिसे रोगों से बचाने के लिए किसान तरह-तरह की दवाइयों का प्रयोग करते हैं। आज हम आपको गन्ने की फसल में लगने वाले पोक्का बोइंग रोग के बारे में बताने जा रहे हैं।

लगभग हर जगह बरसात हो गई है या हो रही है। ऐसे‌ मौसम में गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग बीमारी का प्रकोप शुरू हो जाता है। यह रोग फ्यूजेरियम मॉनिलीफॉर्म नामक फफूंद के द्वारा फैलता है। इस रोग से फसल को बचने के लिए हमें निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए।

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 पोक्का बोइंग रोग की मुख्य‌‌ अवस्थाएं

1- क्लोरोसिस अवस्था

इस अवस्था में गन्ने की ऊपर की पत्ती हल्की पीली व सफेद होने लगती है। कुछ दिनों बाद लाल- भूरी होकर नष्ट होने लगती है। इससे गन्ने की बढ़वार रुक जाती है। नई पत्तियों की आकृति एक स्पष्ट झुर्रियां मुड़ना और छोटा हो जाती हैं।

 2- टॉप रोट अवस्था

पोका बोइंग की यह अवस्था सबसे गंभीर अवस्था है। इस अवस्था में पत्ती पीली पड़ने के पश्चात चोटी के पास में निकलने वाली पत्ती सड़ने लगती है।

 3- नाइफ कट अवस्था

इस अवस्था में ग्रसित गन्ने में ऊपर चोटी की पत्तियां समाप्त हो जाती हैं तथा गन्ने की चोटी एक नई आकृति ले लेती है, जो कि चाकू नुमा हो जाती है। इस अवस्था में ग्रसित गन्ने की रोकथाम लगभग संभव नहीं है।

रोग फैलने के लिए अनुकूल परिस्थितियां

1- वातावरण में अधिक नमी

2- तापमान का अधिक होना

3- गन्ने की 3 से 7 महीने की अवस्था आदि

रोकथाम के उपाय

500 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

बेहतर परिणाम के‌ लिए इसमें किसी दूसरे तत्व का मिश्रण न करें।

संक्रमण होने पर 20 से 25 दिन के अंतराल पर‌ उपरोक्त ‌दवाई का दोबारा छिड़काव करें, क्योंकि इसका असर एक बार में उक्त दिनों तक ही रहता है।

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