SHIV KA SAVAN: अमरोहा के पातालेश्वर शिव मंदिर पर उमड़ता है आस्था का सैलाब 

SHIV KA SAVAN: उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा के एक छोटे से गांव कोकापुर में पातालेश्वर शिव मंदिर स्थित है। जहां श्रावण मास में हज़ारों श्रद्धालु हरिद्वार तथा ब्रजघाट से कांवड़ में जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय से तहसील हसनपुर के गांव ढवारसी से होकर आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा जनपद संभल से इस मंदिर की दूरी मात्र 18 किलोमीटर है, हांलाकि यह मंदिर जनपद अमरोहा की सीमा में पड़ता है और अमरोहा जनपद के जिला मुख्यालय से इसकी दूरी क़रीब 50 किलोमीटर है।

मंदिर का इतिहास

स्थानीय लोगों के अनुसार मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। ग्राम पंचायत कोकापुर के वर्तमान ग्राम प्रधान रतन सिंह ने बताया कि हमारे बुजुर्ग बताते हैं कि एक वार गांव के ही एक किसान अपने खेत पर झाड़ियों की सफ़ाई कर रहे थे। सफ़ाई करते समय एक पत्थर से दरांती टकरा गई और उस पत्थर से खून बहने लगा। किसान ने सारी घटना ग्रामीणों को बताई। ग्रामीण एकत्रित होकर मौक़े पर पहुँचे और वहां साफ़ सफ़ाई करने के बाद जब उन्होंने देखा कि वह पत्थर एक शिवलिंग के आकार का था। जिसकी जड़ें काफ़ी गहरी थी। ग्रामीणों उसे शिवलिंग मानकर पूजा अर्चना शुरू कर दी और धीरे धीरे वहां एक छोटा मंदिर बना दिया। यहां पर लोगों की मन्नतें पूरी होने लगी। जिसके बाद इस स्थान की आस्था और बढ़ गई।

वर्तमान में ग्राम पंचायत के लोगों तथा इस स्थान में आस्था रखने वाले शिव भक्तों के सहयोग से यहां एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया है। पातालेश्वर शिव मंदिर पर श्रावण तथा फाल्गुन मास की शिव रात्रि को शिव भक्त कावड़ में जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

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प्रतिदिन होता है विशेष श्रृंगार

मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई सभी मुरादें शंकर भगवान पूरी करते हैं। समय-समय पर स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर की साफ सफाई का कार्य किया जाता है। वैसे तो मंदिर में रोजाना ही भक्त पहुंचते हैं, लेकिन प्रत्येक सोमवार को भारी संख्या में भक्त पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं। इसके अलावा शिवरात्रि के दिन मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है। सभी भक्त पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। श्रावण मास में यहां का भक्ति में माहौल रहता है। क्षेत्र के ही नहीं बल्कि आसपास के जनपद से भी लोग भारी संख्या में पहुंचकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

फाल्गुन एवं श्रावण मास की शिवरात्रि को यहां मेले का आयोजन भी होता है। मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि शिवरात्रि पर्व पर मंदिर को बड़े ही सुंदर ढंग से सजाया जाता है। प्रत्येक दिन विशेष श्रृंगार होता है। रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर मुराद मांगते हैं।

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