Sri jaharveer Gogaji maharaj: जाहरवीर गोगा देव गुरु गोरखनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक हैं। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को प्रमुख माना गया है। इनका जन्म राजस्थान के चुरू जिले के दत्ताखेड़ा में हुआ था। इस स्थान पर सभी धर्म एवं सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए आते हैं। नाथ परम्परा के साधुओं के लिए यह स्थान बहुत महत्व रखता है। वहीं, कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से मानते हैं। यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है। लोककथाओं के अनुसार गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।
श्री जाहरवीर महाराज के बारे में
गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) के राजपूत शासक जेवरसिंह चौहान की पत्नी बाछल के गर्भ से हुआ था। मान्यता के अनुसार गुरु गोरखनाथ ने माता बाछल को वरदान दिया था कि भादो सुदी नवमी को तुम्हारे गर्भ से एक बालक का जन्म होगा। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगा जी वीर राजा थे। गोगा जी का राज्य सतलुज से हरियाणा तक था।
राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 250 किमी दूर स्थित सादलपुर के पास दत्ताखेड़ा (ददरेवा) में गोगा देव जी का जन्म स्थान है। गोगादेव की जन्म भूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है। सैकड़ों वर्ष बीत गए, लेकिन उनके घोड़े की रकाब अभी भी वहीं पर विद्यमान है। उक्त जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है। भक्तजन इस स्थान पर कीर्तन करते हुए पहुंचते हैं। जन्म स्थान पर बने मंदिर पर मत्था टेककर मन्नत मांगते हैं।
हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगा मेड़ी स्थित गोगाजी का समाधि स्थल है जो जन्म स्थान से लगभग 80 किमी की दूरी पर है,। यहां एक हिन्दू व एक मुस्लिम पुजारी खड़े रहते हैं।
मंदिर में मत्था टेककर की जाती है छड़ियों की विशेष पूजा
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से लेकर भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक गोगा मेड़ी के मेले में वीर गोगाजी की समाधि तथा गोरखटीला स्थित गुरु गोरक्षनाथ के धूने पर शीश नवाकर भक्तजन मनौतियां मांगते हैं। जयकारों के साथ गोगाजी तथा गुरु गोरक्षनाथ के प्रति भक्ति की अविरल धारा बहती है। भक्तजन गुरु गोरक्षनाथ के टीले पर जाकर नमन करते हैं। प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगाजी के मंदिर में मत्था टेककर छड़ियों की विशेष पूजा करते हैं।
प्रदेश की लोक संस्कृति में गोगाजी के बारे में कहा गया है कि ‘गांव-गांव में खेजड़ी, गांव-गांव में गोगा’ वीर गोगाजी का आदर्श व्यक्तित्व भक्तजनों के लिए सदैव आकर्षण का केन्द्र रहा है। लोककथाओं के अनुसार गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।