इन पांच स्थानों के दर्शन बिना अधूरी मानी जाती है गोवर्धन परिक्रमा

Govarddhan Parikrama: मथुरा-वृंदावन जाने वाले लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी जरूर करते हैं। गोवर्धन की परिक्रमा के बाद वह वापस लौट जाते हैं, लेकिन हम आपको बता दें कि गोवर्धन के पास ऐसे कई स्थान हैं, जहां पर बिना गए आपकी गोवर्धन परिक्रमा यात्रा पूरी नहीं मानी जा सकती है। श्रीकृष्ण के धाम गोवर्धन की यात्रा कई मायनों में आपके लिए खास बन सकती है। हालांकि मथुरा-वृंदावन जाने वाले ज्यादातर लोग गोवर्धन पर्वत के अलावा कहीं और नहीं घूम पाते हैं। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के अलावा आप इन जगहों पर भी घूम सकते हैं।

हरदेव जी मंदिर

माना जाता है कि राधा रानी गोपियों संग मानसी गंगा के किनारे बैठकर श्रीकृष्ण का इंतजार करती थीं। इंतजार के दौरान वह अपने आराध्य हरिदेव के नाम का जाप किया करती थी। राधा और गोपियों का प्रेम देखकर श्रीकृष्ण ने सात साल के बाल्य स्वरूप में आकर उन्हें दर्शन दिया था। इसी जगह पर भगवान कृष्ण के पोते ने हरदेव जी मंदिर का निर्माण किया। वर्तमान में जो हरिदेव मंदिर मौजूद है, उसका निर्माण जयपुर के राजा भगवानदास ने 16वीं शताब्दी में किया था।

मथुरा घूमने का बना लिया है मन तो मिस न करें यह विश्व प्रसिद्ध स्थान

दानघाटी मंदिर

गोवर्धन पर्वत की 21 किमी की परिक्रमा को शुरू करने से पहले ही आप दानघाटी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। इस मंदिर में भगवान कृष्ण अपनी छोटी उंगली पर पर्वत धारण किए हुए हैं और उसके नीचे ब्रजवासी और पशु आदि सबने खुद को सुरक्षित कर लिया है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा इस स्थान पर गिरिराज जी के रूप में होती है।

मानसी गंगा

भगवान कृष्ण के माता-पिता नंद बाबा और यशोदा मैया गंगा में स्नान करना चाहते थे। जब कृष्ण ने अपने माता-पिता की इस इच्छा के बारे में सुना तो उन्होंने मन की ताकत से गंगा को बृज में ही रोक लिया। जिससे मानसी गंगा का निर्माण हुआ। इसी मानसी गंगा में नंद बाबा और यशोदा मैया के साथ ब्रजवासियों ने गंगा में स्नान किया। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का पुण्य तब तक पूरा नहीं होता, जब तक मानसी गंगा में डुबकी न लगाई जाए।

कुसुम सरोवर

इस सरोवर को यह नाम उसमें उगने वाले खास फूलों की वजह से मिला है। राधा रानी और गोपियां इस सरोवर में उगने वाले फूलों को तोड़कर श्रीकृष्ण को भेंट किया करती थी। इस सरोवर के चारों ओर घने कदंब के पेड़ लगे है। कदंब का पेड़ भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय था। कदंब के पेड़ पर चढ़कर वह बांसुरी बजाया करते थे। इस सरोवर के चारों ओर कई आश्रम हैं।

आगरा घूमने जाएं तो ताजमहल के अलावा इन स्थानों को न करें मिस, देखें लिस्ट