Ganesh chaturthi: योगी पुरुष के अंदर ही विराजमान रहते हैं गणेश जी

Ganesh chaturthi: योग पुरुष के अंदर ही उनके गणेश हैं। मस्तिष्क को नीचे से देखने पर गणेश जी की आकृति और ब्रेन के हिस्सों पोन्स, मेडुला और सेरिबेलम पर एक बड़ा सम्बन्ध दिखाई देता है। योगी लोग शरीर को ही भगवान का मंदिर कहते हैं, इसके एक-एक अंग अवयव उनके लिए पूज्य हैं। गणेश के मुख की आकृति पोन्स की तरह है, पोंस श्वास का विनियमन करता है। न्यूमोटैक्सिक सेंटर नामक एक संरचना होती है। जो श्वसन के दौरान हवा की मात्रा तथा श्वसन दर को नियंत्रित करती है। इसके बिना श्वास लेना सम्भव नहीं है।

मेडुला की आकृति गणेश जी की सूंड की तरह

मेडुला की आकृति गणेश जी की सूंड की तरह होती है। मेडुला मस्तिष्क का अंतिम भाग होता है। जो मेरुरज्जु से जुड़ा होता है।
मेड्यूला ऑब्लांगेटा लार आना, उलटी आना, हृद्-स्पंद, आहार नाल के क्रमाकुंचन तथा अन्य अनेक अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है। यह सांस लेने, खांसने, निगलने आदि का केंद्र होता है। गणेश जी की आंखे ट्राइजेमिनल नर्व के उत्तपत्ति स्थान की तरह होती हैं। ट्राइजेमिनल नर्व काटने ,चबाने की क्रियाओं के लिए जिम्मेदार है।पोन्स पर जो नाड़ियों का जाल है उसकी आकृति गणेश जी के दो दांतों की तरह होती है।

योग कीजिए, स्वस्थ रहिए

सेरिबेलम की आकृति गणेश के दो कानों की तरह होती है। सेरिबेलम बोलने, देखने, स्वाद को महसूस करने, सुनने और शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। जो विशेषताऐं गणेश जी के चरित्र में लोगो ने मानी हैं| वह सब व्यक्ति के मस्तिष्क के इस हिस्से में मौजूद हैं। जिसका यह हिस्सा स्वस्थ है, संतुलित है तो समझो गणेश उस पर मेहरबान है। इसलिए योग कीजिए, स्वस्थ रहिए। रिद्धि और सिद्धि दोनों आपके ऊपर बरसेंगी। जो योगी अपनी तीन अवस्थाओं को पार करके आत्मदेव की चौथी अवस्था तुरिया में जीता है या उसे अनुभव कर लेता है, वही वास्तव में गणेश चतुर्थी मनाता है।