RED ROT IN SUGARCANE: किसान गन्ने की फसल में लगने वाले लाल सड़न रोग को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं, क्योंकि इस रोग के लगने के बाद गन्ने की फसल नष्ट हो जाती है| पौधे में रोग आने के बाद इसे रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाता है| इसलिए किसानों को इस रोग के बारे में विस्तार से जानना बहुत ही आवश्यक है| आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से गन्ने में लगने वाले लाल सड़न रोग के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं|
1-रोग के लक्षण
इस रोग के प्रारंभिक लक्षण जुलाई माह में दिखाई देने लगते हैं| जिसमें गन्ने के पौधे की ऊपर से तीसरी-चौथी पत्ती सूखने लगती है| पत्तियों पर रुद्राक्ष की माला जैसे धब्बे बन जाते हैं| रोगी गन्ने को फाड़ कर देखें तो गूदे का रंग लाल दिखाई देता है| इसके बीच में सफेद रंग के क्षैतिज धब्बे दिखाई पड़ते हैं तथा इनसे सिरके जैसी गंध आती है| गन्ना गांठों से आसानी से टूट जाता है तथा धीरे-धीरे पूरा गन्ना सूख जाता है और खोखला हो जाता है|
2-रोग का कारक एवं फैलाव
यह बीमारी फफूंदी जनित है, जो कोलेट्रोट्राईकम फॉल्केटम नामक फफूंद से होता है| इसका प्रसार प्राथमिक तौर पर रोग ग्रस्त फसल की मिट्टी एवं रोगी खेत से बोए गए बीज द्वारा होता है| द्वितीयक प्रसार रोग ग्रस्त फसल से खेत का पानी दूसरे खेतों में पहुंचने एवं हवा द्वारा कीटाणुओं का दूसरे खेत की फसल तक पहुंचने से होता है|
3-नियंत्रण के उपाय
गन्ना फसल में लाल सड़न रोग का प्रकोप 20% से कम होने एवं पैचेज में पाए जाने की स्थिति में रोग ग्रस्त पौधों को जड़ से उखाड़ कर जलाकर नष्ट कर दें और इस स्थान को 10 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर मिट्टी से ढक दें, ध्यान रहे कि क्लंप्स को उखाड़ के समय मिट्टी खेत में न गिरने पाए| रोग प्रभावित खेत की प्राथमिकता पर कटाई कर तुरंत मिल में सप्लाई कर दें| बीज के लिए उपयोग किए जा रहे गन्ने के टुकड़ो को हेक्साटॉप के 1.5 प्रतिशत घोल में रात भर रखकर उपचारित करने के उपरांत बुवाई करें|
4-बचाव का उपाय
गन्ने की लाल सड़न रोग गन्ने का कैंसर के रूप में जानी जाती है और इसके नियंत्रण की कोई प्रभावशाली विधि नहीं होने के कारण बचाव ही सर्वोत्तम उपाय हैं|
इस बीमारी से बचने के लिए लाल सड़न रोग-रोधी किस्म जैसे – को. 0118, को. लख. 14201, को. 15023, कोशा 13235, को. लख. 94184, को. 98014 आदि किस्मों का चयन करें|
यथासंभव को. 0238 गन्ना किस्म की बुवाई ना करें|
विशेषकर निचली भूमि जहां प्रायः पानी रुकता है एवं जलभराव की समस्या रहती है, उन क्षेत्रों में इसकी खेती कदापि न करें|
बीज का चुनाव स्वस्थ्य एवं रोग रहित खेत से करें|
बुवाई से पूर्व बीज को उपचारित करके बुवाई करें| इसके लिए एचएमएटी मशीन में 54 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान एवं 95% आर्दता पर 2 घंटे अथवा सीड ट्रीटमेंट डिवाइस में 1.5 घंटे तक रखकर सेट का उष्ण उपचार करें तथा
इसके पश्चात हेक्साटॉप अथवा कार्बंडाजिम के 0.1 प्रतिशत घोल में 10 मिनट तक उपचारित करें|
यथासंभव गन्ने के ऊपरी 1/3 हिस्से से ही बीज हेतु सेट का चुनाव करें|
बुवाई से पूर्व वायोएजेन्ट अंकुश (ट्राइकोडरमा) कि 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा, 2 कुंटल सड़ी हुई गोबर या मैली की खाद में मिलाकर 2-3 दिन छाया में रखने के बाद बुवाई के समय कूंडों में डालें|
प्रभावित खेत में गन्ना काटने के बाद दोबारा कम से कम एक साल उसमें दूसरी फसल लेने के उपरांत ही गन्ने की दोबारा फसल की बुवाई करें|
फसल चक्र अपनाएं| प्रभावित फसल की पेडी कदापि न लें|