भगवान कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में इस स्थान पर दिए थे दर्शन, जानें सच

SHANIDHAM KOKILAVAN: पूरे भारत वर्ष में भगवान शनिदेव के अनेकों मंदिर स्थित हैं लेकिन आज हम ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ भगवान कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन देकर इसी स्थान पर रहने का आदेश दिया था। आज यह स्थान पूरे भारत भर में प्रसिद्ध है और एक सिद्ध पीठ है। इस मंदिर में देश भर से रोज़ाना हज़ारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा होती है। मान्यता है कि शनिदेव को तेल अर्पण करने से मनुष्य पर चल रही साढ़ेसाती, ढैय्या और समस्त शनिदोष समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा भगवान कृष्ण का आशीर्वाद ही मिलता है।

शनि देव को बालकृष्ण के नहीं हुए दर्शन

हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा के कोकिलावन में स्थित शनि धाम की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के बाद रूप को देखने के लिए सभी देवी देवता गोकुल में पधारे थे। जिसमें शनिदेव भी शामिल हुए, लेकिन मां यशोदा ने भगवान शनिदेव को बाल रूपी भगवान कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। क्योंकि उन्हें भय था कि कहीं शनिदेव की दृष्टि से मेरे बाल कृष्ण को कोई हानि न हो जाए। इसके बाद शनिदेव ने भगवान कृष्ण के बाल रूप के दर्शन करने के लिए वन में घोर तपस्या करने का निर्णय लिया। भगवान कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए और उन्हें उसी स्थान पर रहने का आदेश दिया।

जिस वन में भगवान् कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए, उसे आज कोकिलावन के रूप में जाना जाता है और वहाँ पर शनिदेव का एक विशाल मंदिर है। जो शनिधाम के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि स्वयं शनिदेव इसी स्थान पर विराजमान हैं।

इन लोगों से नाराज होते हैं शनिदेव 

जिन जातकों की कुंडली में शनिदोष रहता है, उन्हें कुत्तों की सेवा करनी चाहिए। जो लोग अपने माता-पिता या बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं करते और महिलाओं को बुरा बोलते हैं, शनिदेव उनसे नाराज रहते हैं। जो लोग अक्सर किसी दूसरे व्यक्ति को छल, कपट और बुरी नजर से धोखा देते हैं, शनिदेव उन पर बुरी द्दष्टि डालते हैं।

ऐसे करें शनिदेव की पूजा 

शनिदेव की पूजा को सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद फलीभूत माना जाता है इससे वह अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं। सूर्यास्त के बाद शनिदेव की पूजा का विधान है। जब हम शनि देव की पूजा करते हैं, तब उनकी आंखों की ओर नहीं देखना चाहिए। माना जाता है कि शनि देव की दृष्टि बहुत तेज होती है यदि वह किसी मनुष्‍य पर पड़ती है तो उसका अनिष्‍ट हो सकता है। इसलिए जब भी शनिदेव की पूजा करें तो आंखों को झुकाकर ही करें।

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