FAMOUS SWEET: वैसे आपने अनेकों तरह की मिठाइयां खाई होंगी, लेकिन एक ऐसी मिठाई है जो भारत में केवल एक ही स्थान पर मिलती है। जी हां हम बात कर रहे हैं, उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के कस्बा इगलास की। यह कस्बा वैसे तो जनपद की तहसील भी है। लेकिन यह अपनी एक अलग पहचान रखता है। यहां इगलास की मशहूर चमचम बनाई जाती है। जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक प्रसिद्ध है। नेता और अभिनेता से लेकर क्रिकेटर भी चमचम के मुरीद हैं। इस मिठाई को इगलास की चमचम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसके बनने की शुरुआत इगलास से ही हुई थी और खास बात यह है कि यह इगलास के अलावा कहीं नहीं बनती। यदि किसी अन्य शहर में बेची भी जाती है, तब भी उसे “इगलास की चमचम” के नाम से ही बेचा जाता है।
सन 1944 में इगलास के हलवाई स्वर्गीय लाला रघुवर दयाल उर्फ रग्घा सेठ ने पहली बार इस मिठाई को बनाया था। जब उन्होंने इसे बेचना प्रारंभ किया तो लोगों ने इसके स्वाद को बहुत अधिक पसंद किया। धीरे-धीरे यह मिठाई क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गई। रग्घा सेठ की मृत्यु के बाद उनके दो बेटों ने चमचम मिठाई को बनाने का कार्य जारी रखा। वर्तमान में इगलास कस्बे में 50 से अधिक दुकानें हैं। इस मशहूर मिठाई के आगे सब पकवान फीके हैं।
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मुनासिब दाम में बेची जाती है चमचम
वर्तमान में इगलास की चमचम ₹240 प्रति किलो के हिसाब से मिलती हैं। 1 किलो पर 20 पीस चढ़ते हैं। पॉलिथीन में रखकर गत्ते के डिब्बे में पैक कर ग्राहक को दिया जाता है। यहां से गुजरने वाले अधिकतर लोग इगलास की चमचम लेकर ही जाते हैं।
लाखों रुपए प्रतिदिन होता है कारोबार
जैसा कि हम आपको बता चुके हैं की इगलास की चमचम की शुरुआत रग्घा सेठ द्वारा की गई थी। अब उनके परिवार के लोग इस व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन इगलास में अब इसकी पूरी मार्केट बन चुकी है। अलीगढ़-मथुरा मार्ग पर रोडवेज बस स्टैंड के सामने दोनों तरफ सिर्फ चमचम की ही दुकानें नजर आती है। स्थानीय लोगों के अनुसार चमचम का कारोबार लाखों रुपए प्रतिदिन तक हो जाता है, जबकि त्योहारों के सीजन में यह 10 गुना तक बढ़ जाता है।
दूध को फाड़कर बनाई जाती है यह मिठाई
दूध को पकाने के बाद उसे फाड़कर चमचम के लिए तैयार किया जाता है। चमचम बनाने वाले कारीगर ने बताया कि पहले दूध को फाड़कर छेना तैयार किया जाता है। जिसमें इलायची पाउडर मिलाया जाता है। इसके अलावा सूजी भी मिलाई जाती है। इनके मिश्रण के लड्डू बनाकर चासनी में पकाए जाते हैं। जब इनका रंग हल्का लाल हो जाए, तब इन्हें निकालकर इनके ऊपर चासनी को डाला जाता है। हम आपको बता दें कि चमचम को बनाने में किसी भी तरह के घी या रिफाइंड का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
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