Choudhary charan singh: आपने देखा होगा कि राजनीतिक पदों पर आसीन हर नेता की अपनी किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई पहचान होती ही है। आज हम बात करेंगे एक ऐसे प्रधानमंत्री की जो एक किसान के भेष में रिपोर्ट लिखाने के लिए थाने में पहुंचे तो पहले तो उनकी रिपोर्ट ही नहीं लिखी गई, लेकिन जब रिपोर्ट लिखी गई तो उनसे रिश्वत मांगी गई। आप जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ? तो चलिए हम आपको इस घटना के बारे में विस्तार से बताते हैं।
आज हम बात कर रहे हैं तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की। जहां आज भी प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का नाम कहीं भी आता है तो उनका नाम बड़े गर्व के साथ लिया जाता है। हालांकि प्रधानमंत्री रहे हैं तो नाम तो गर्व से लेना ही चाहिए। उनके अंदर कुछ खूबियां थी जो आज के नेताओं में देखने के लिए कम ही मिलती हैं।
पुराने धोती कुर्ता पहन पहुंच गए थाने
बात 1979 की है, किसानों की लगातार समस्याओं के चलते तथा थानों में भ्रष्टाचार की बातों के चलते उनके मन में एक ख्याल जागा और वह इटावा के थाना उसराहार पहुंच गए। जब वह थाने जा रहे थे तभी उन्होंने एक किसान का भेष बना लिया और फटे पुराने धोती कुर्ता पहन कर वह थाने में पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने थानेदार का पता किया तो पाया कि थानेदार तो थाने में नहीं है। तब उनकी एसआई से मुलाकात हुई। उन्होंने एसआई से कहा कि मैं मेरठ का किसान हूं और बैल खरीदने के लिए इधर आया हूं। जेब में कुछ रुपए थे लेकिन मेरी पॉकेट मार ली गई है। एसआई ने कहा कि हम कैसे मान लें कि आपकी पॉकेट मार ली गई या फिर आपके रुपए कहीं गिर गए। हम रिपोर्ट नहीं लिखेंगे।
जब रिपोर्ट लिखने के बदले मांगी गई रिश्वत
चौधरी चरण सिंह जो कि एक किसान के भेष में थे, वह उदास हो गए। इतने में थानेदार भी थाने में पहुंच गया। थानेदार से भी कहा लेकिन उनकी कोई भी तवज्जो नहीं हुई या यह कहें कि उनकी कोई रिपोर्ट नहीं लिखी गई। वह वापस जाने लगे। अभी थाने के गेट पर ही पहुंचे थे कि एक पुलिस वाला उनके पास पहुंचा उसने कहा कि कुछ खर्चा पानी लगेगा। आपकी रिपोर्ट लिख जाएगी। हालांकि उस समय सौ रुपए एक आदमी के पास होना या साधारण से किसान के पास होना बहुत बड़ी बात थी। उन्होंने कहा ठीक है आप हमारी रिपोर्ट लिखवा दीजिए। लेकिन पुलिस वाले ने कहा कि कुछ खर्चा पानी लगेगा।
पूरा थाना कर दिया गया सस्पेंड
प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह कहने लगे कि कितना खर्चा लगेगा। पुलिसकर्मी ने कहा 35 रुपए लगेंगे। चलिए आप हमारी रिपोर्ट लिखा दीजिए, रिपोर्ट लिखी गई। थानेदार ने पूछा कि आप साइन करेंगे या अंगूठा लगाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं साइन करूंगा और किसान के भेष में प्रधानमंत्री ने साइन करने के लिए टेबल पर पड़ा हुआ पैन उठा लिया। साइन कर दिए लेकिन स्टांप पैड टेबल पर पड़ा हुआ था। उन्होंने जैसे ही पैड को उठाया तो पुलिस वाले सोचने लगे कि अभी यह अंगूठा क्यों लगाना चाहते हैं, लेकिन इतने में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने पैड पर मुहर लगाकर जैसे ही रिपोर्ट पर लगाई तो उस पर लिखा था प्रधानमंत्री भारत सरकार।
जैसे ही सिपाही ने देखा कि प्रधानमंत्री भारत सरकार तो सभी हक्के बक्के रह गए। मानो की पूरे थाने में सन्नाटा पसर गया। इतने में ही प्रधानमंत्री का काफिला थाने पर जा पहुंचा। जहां जिले के एसडीएम, डीएम, एसपी और तमाम सुरक्षाकर्मी मौजूद थे। तब प्रधानमंत्री ने पूरे थाने को सस्पेंड कर दिया था।
यदि आज हमारे देश में ऐसे नेता हो जाएं तो देश भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा, लेकिन आज तो नेता कुर्सी के लालच में धनबल का प्रयोग करते हैं और आम जनता को उसी के हाल पर छोड़ देते हैं। आज ऐसे दौर में हमें तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की याद आती है और केवल यही उम्मीद करते हैं कि देश में ऐसा नेता फिर से हो जो आम जनमानस की समस्या का समाधान कर सके।