ढवारसी से दो दर्जन शिव भक्त डाक कांवड़ लेने हरिद्वार रवाना

ढवारसीः दो दर्जन युवा भक्तों का दल हरिद्वार के हर की पौड़ी गंगा घाट से गंगाजल भरकर डाक कांवड़ लाने के लिए रवाना हो गया। बाइक एवं डीजे साउंड के साथ भोले बाबा का जयकारा लगाते हुए युवा भक्त रवाना हुए। इस अवसर पर युवा संगठन एवं ग्रामवासियों ने डाक कावड़ यात्रियों को तिलक लगाकर विदा किया। युवा शिव भक्त डीजे की धुन पर हर हर महादेव, बम बम भोले के भक्तिमय जयघोषों के साथ आगे बढ़ते हुए नजर आए।

युवा शिव भक्त सोमवार को डाक कावड़ लेकर गांव पहुंचेंगे। इसके बाद भगवान भोलेनाथ का गंगाजल के साथ जलाभिषेक करेंगे। डाक कांवड़ दल में राजीव गोयल, अमन गोयल, अंकित सागर, रजनीश सैनी, पुष्पेंद्र सागर, कुनाल त्यागी, बृजेश शर्मा, मुकुल गुप्ता, शिवकुमार, मणि कुमार, सोहन राणा, कपिल सागर, उदयवीर ठाकुर, शेरसिंह सागर, लखपत राणा शामिल रहे।

शुद्ध रहना और दूसरों का भला करना

  •  पूजा किसी भी प्रकार की हो सभी का सार यही है- शुद्ध रहना और दूसरों का भला करना।
  • जो दीन, निर्बल और रोगी में शिवजी को देखता है, वह सत्यता में शिव की पूजा करता है और
  • यदि वह शिव को केवल छवि में देखता है, तो उसकी पूजा प्रारंभिक है।
  • जिसने एक निर्धन मनुष्य में शिव को देखकर, उसकी जाति, पंथ,
  • नस्ल, या कुछ भी सोचे बिना उसकी सेवा और सहायता की है,
  • शिव उस व्यक्ति की तुलना में अधिक प्रसन्न हैं, जो उन्हें केवल मंदिरों में देखता है।

डीजे की धुन पर हर हर महादेव

ढवारसीः दो दर्जन युवा भक्तों का दल हरिद्वार के हर की पौड़ी गंगा घाट से गंगाजल भरकर लाने के लिए रवाना हो गया। बाइक एवं डीजे साउंड के साथ भोले बाबा का जयकारा लगाते हुए युवा भक्त रवाना हुए। इस अवसर पर युवा संगठन एवं ग्रामवासियों ने डाक कावड़ यात्रियों को तिलक लगाकर विदा किया। युवा भक्त डीजे की धुन पर हर हर महादेव, बम बम भोले के भक्तिमय जयघोषों के साथ आगे बढ़ते हुए नजर आए।

  • युवा शिव भक्त सोमवार को डाक कावड़ लेकर गांव पहुंचेंगे।
  • इसके बाद भगवान भोलेनाथ का गंगाजल के साथ जलाभिषेक करेंगे।
  • डाक कांवड़ दल में राजीव गोयल, अमन गोयल, अंकित सागर, रजनीश सैनी, पुष्पेंद्र सागर, कुनाल त्यागी,
  • बृजेश शर्मा, मुकुल गुप्ता, शिवकुमार, मणि कुमार, सोहन राणा, कपिल सागर, उदयवीर ठाकुर,
  • शेरसिंह सागर, लखपत राणा शामिल रहे।

शुद्ध रहना और दूसरों का भला करना

  •  पूजा किसी भी प्रकार की हो सभी का सार यही है- शुद्ध रहना और दूसरों का भला करना।
  • जो दीन, निर्बल और रोगी में शिवजी को देखता है, वह सत्यता में शिव की पूजा करता है और
  • यदि वह शिव को केवल छवि में देखता है, तो उसकी पूजा प्रारंभिक है।
  • जिसने एक निर्धन मनुष्य में शिव को देखकर, उसकी जाति, पंथ,
  • नस्ल, या कुछ भी सोचे बिना उसकी सेवा और सहायता की है,
  • शिव उस व्यक्ति की तुलना में अधिक प्रसन्न हैं, जो उन्हें केवल मंदिरों में देखता है।