जन्माष्टमी पर श्रीरामडोल शोभायात्रा की तैयारी तेज, यहां होगा भव्य आयोजन

SHRI KRISHNA JANMASHTMI: आगामी 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर निकाली जाने वाली श्रीरामडोल शोभायात्रा को लेकर समिति द्वारा रूपरेखा तैयार की गई है। जिसमें मार्ग की साफ सफाई एवं शोभायात्रा में शामिल होने वाली झांकियों को लेकर चर्चा की गई। हसनपुर तहसील क्षेत्र के गांव ढवारसी में पिछले 30 वर्षों से जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इस वर्ष भी शोभायात्रा विधिवत निकाली जाएगी। जिसे लेकर श्रीरामडोल सेवा समिति के कार्यकर्ताओं ने बैठक का आयोजन कर शोभायात्रा के लिए रूपरेखा तैयार की है।

जिसमें कमेटी के सदस्यों ने झांकी निकाले जाने वाले मार्गों की साफ सफ़ाई को लेकर ग्राम पंचायत सचिव से बात कर समय से पूर्व सभी रास्तों की सफ़ाई करने की मांग की। इसके अलावा शोभायात्रा में सम्मिलित होने वाली झांकियों पर विशेष चर्चा की गई।शोभायात्रा में क़रीब 30 झांकियां शामिल की जाएंगी। इसके अलावा झांकी में दर्जन भर डीजे भी सम्मिलित होंगे।बिजली विभाग से रास्ते में पड़ने वाली लाइनों को ऊंचा करने की मांग की गई है। इस अवसर पर पूर्व प्रधान राजीव गोयल, अमन गोयल, शिवओम गुप्ता, आदित्य त्यागी, अंकित सागर, सुरजीत गोयल, अतुल गोयल, अमरीश त्यागी, राजेश शर्मा, अभिनव शर्मा आदि मौजूद रहे।

बाल रूपी भगवान कृष्ण के दर्शन

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के बाद रूप को देखने के लिए सभी देवी देवता गोकुल में पधारे थे।

जिसमें शनिदेव भी शामिल हुए,लेकिन मां यशोदा ने भगवान शनिदेव को बाल रूपी भगवान कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए।

क्योंकि उन्हें भय था कि कहीं शनिदेव की दृष्टि से मेरे बाल कृष्ण को कोई हानि न हो जाए।

इसके बाद शनिदेव ने भगवान कृष्ण के बाल रूप के दर्शन करने के लिए वन में घोर तपस्या करने का निर्णय लिया।

भगवान कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए और उन्हें उसी स्थान पर रहने का आदेश दिया।

जिस वन में भगवान् कृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए,

उसे आज कोकिलावन के रूप में जाना जाता हैऔर वहाँ पर शनिदेव का एक विशाल मंदिर है।

जो शनिधाम के नाम से प्रसिद्ध है।माना जाता है कि स्वयं शनिदेव इसी स्थान पर विराजमान हैं।

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