आखिर हनुमान जी को क्यों चीरना पड़ा अपना सीना, जानें

JAI SHREE RAM: हनुमान जी को प्रसन्न करना हो तो उनके नाम का जाप करने की बजाय भगवान राम के नाम का जाप करना चाहिए। इससे वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी की निस्वार्थ भक्ति और अनन्य प्रेम को देखते हुए उन्होंने भगवान राम के दिल में ऐसी जगह बनाई कि दुनिया उन्हें प्रभु राम का सबसे बड़ा भक्त मानती है।

कलयुग के देवता भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान अति बलशाली हैं। उनकी राम भक्ति के बारे में भला कौन नहीं जानता? भजन की ये दो लाइन “दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना” में जहां श्रीराम को सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ बताया गया है। वहीँ हनुमान जी को राम के हर काम को पूर्ण करने वाला बताया गया है।

हनुमान जी ने सारे मोती फेंक दिए

  • पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है कि भगवान श्री राम के राज्याभिषेक के बाद दरबार में उपस्थित
  • सभी लोगों को उपहार दिए जा रहे थे।
  • इसी दौरान माता सीता ने रत्न जड़ित एक बेश कीमती माला हनुमान जी को दी।
  • उस माला को लेकर हनुमान जी थोड़ी दूरी पर गए और
  • उसे अपने दांतों से तोड़ते हुए बड़ी गौर से माला के मोती को देखने लगे।
  • उसके बाद एक-एक कर उन्होंने सारे मोती फेंक दिए।
  • यह सब दरबार में उपस्थित लोगों ने देखा तो सब के सब दंग रह गए।

लक्ष्मण जी को क्रोध आया

  • जब हनुमान जी मोती तोड़ कर फेंक रहे थे तब लक्ष्मण जी को उनके इस कृत्य पर बड़ा क्रोध आया।
  • उन्होंने प्रभु श्री राम से कहा कि हे भगवन हनुमान को माता सीता जी ने बेशकीमती रत्‍नों की माला दी और
  • उन्होंने उस माला को तोड़कर फेंक दिया।
  • उन्हें रत्नों की इस माला के महत्व का कोई अंदाजा भी है?
  • जिसके बाद भगवान श्री राम बोले- हे अनुज तुम मुझे मेरे जीवन से भी अधिक प्रिय हो,
  • जिस कारण से हनुमान ने उन रत्नों को तोड़ा है
  • यह उन्हें ही मालूम है? इसलिए इस जिज्ञासा का उत्तर हनुमान से ही मिलेगा।

वक्षस्थल तेज नाखूनों से फाड़ दिया

  • तब, राम भक्त हनुमान ने कहा ‘मेरे लिए हर वो वस्तु व्यर्थ है, जिसमें मेरे प्रभु राम का नाम ना हो।
  • मैंने यह हार अमूल्य समझ कर लिया था, लेकिन जब मैंने इसे देखा तो पाया कि इसमें कहीं भी राम नाम नहीं है।
  • उन्होंने कहा मेरी समझ से कोई भी अमूल्य वस्तु राम नाम के बिना अमूल्य हो ही नहीं सकती।
  • अतः उसे त्याग देना चाहिए। यह बात सुनकर लक्ष्मण जी बोले आपके शरीर पर भी तो राम का नाम नहीं है,
  • तो इस शरीर को क्यों रखा है? इस शरीर को भी त्याग दो?
  • लक्ष्मण जी की बात सुनकर हनुमान ने अपना वक्षस्थल तेज नाखूनों से फाड़ दिया और उसे लक्ष्मण को दिखाया।
  • जिसमें श्रीराम और माता सीता दिखाई दिए।
  • यह घटना देख कर लक्ष्मण जी इस बात से आश्चर्यचकित रह गए और
  • उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।