SMART KISAN: गांव के आसपास छोटे किसानों को खेती करना आज के दौर में बहुत कठिन हो चुका है क्योंकि बेसहारा पशुओं से ज्यादा नुकसान होने के कारण किसान अपने खेतों को खाली छोड़ देते हैं। किसान हरि सिंह मुराया की खेती कर रहे हैं। जिसे देखकर कुछ ओर किसानों ने अपने खेतों में मुराया के पेड़ लगाकर अच्छा मुनाफा कमाने की उम्मीद की है।
छोटे से टुकड़े में पारंपरिक खेती से परिवार चलाना मुश्किल होने लगा तो जनपद अमरोहा के गांव ढवारसी के रहने वाले किसान हरि सिंह ने कुछ नया करने की ठानी। उन्होंने तय किया कि वह मंडप सजाने में इस्तेमाल होने वाली घास मुराया की खेती करेंगे।
तीन वीघा से शुरू की मुराया की खेती
जब गांव के अन्य किसानों को हरिसिंह के द्वारा नई खेती करने का पता चला तो किसान का मजाक उड़ाया तो कुछ ने लाभ हानि का गणित समझा कर उनकी हिम्मत तोड़ने की कोशिश की, लेकिन हरि सिंह पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपनी तीन बीघा जमीन में मुराया की बुवाई कर दी। उनकी मेहनत अब रंग लाने लगी। वह अपनी उगाई मुराया आसपास के जिलों में ही नहीं बल्कि दिल्ली, हरियाणा व पंजाब भेज रहे हैं। आय बढ़ने से परिवार की किस्मत भी बदलने लगी है।
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परिवार की आर्थिक स्थिति बदल दी
- हसनपुर तहसील क्षेत्र के कस्बा ढवारसी के किसान हरि सिंह कुछ वर्ष पहले तक पारंपरिक खेती करते थे।
- थोड़ी सी जमीन से इतनी आमदनी नहीं होती थी, कि वह परिवार का खर्च सही ढंग से चला सके।
- हरि सिंह ने अपने दामाद रामवीर से विचार विमर्श करके मुराया की खेती करने का निर्णय लिया।
- शुरू में उनका फैसला परिवार को भी रास नहीं आया, लेकिन वह अपने फैसले पर अटल रहे।
- पहले सीजन उन्हें कुछ ख़ास लाभ नहीं हुआ, लेकिन दूसरे सीजन से ही उन्हें मुराया से अच्छा लाभ होने लगा।
- कुछ अलग करके उन्होंने जमीन के उसी छोटे से टुकड़े से परिवार की आर्थिक स्थिति बदल दी।
कम मेहनत और कम लागत में अच्छी कमाई
- हरि सिंह बताते हैं कि मुराया का पौधा शादी के मंडप के साथ ही अन्य तरह की सजावट में इस्तेमाल होता है।
- कई राज्यों में इसकी काफी डिमांड है।
- अब दिल्ली, संभल, हरियाणा व पंजाब के व्यापारियों को मुराया बेचते हैं।
- आमतौर पर कटिंग भी खरीदार ही करता है।
- इसमें भी उनकी काफी बचत होती है।
- कम मेहनत और कम लागत के बाद भी इसमें अच्छी कमाई है।
- हरि सिंह इस खेती को करीब 13 वर्षों से कर रहे हैं।
- वह अब अन्य छोटे किसानों को भी मुराया की खेती के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।
- इस समय हरि सिंह से प्रेरित होकर गांव के अन्य किसान भी अपनी जमीन में मुराया की खेती करने लगे हैं।
फसल को कम लगते हैं रोग व कीट
- हरि सिंह के मुताबिक मुराया घास की एक प्रजाति है।
- जिसको शुरू में लगाने के बाद करीब 3 वर्षों में काटने के लिए तैयार किया जाता है
- इसके बाद प्रति वर्ष इसको काटा जाता है।
- यह मंडप सजाने के लिए इस्तेमाल होती है।
- एक बीघा फसल पर एक वर्ष में दस हजार रूपये तक की लागत आती है और
- करीब एक बीघा की फसल 30 से 40 हजार रुपये में बिक जाती है।
- रोग व कीट भी फसल को बेहद कम लगते हैं।
- हालांकि फसल पर नियमित नजर रखना जरूरी होती है।